Kabir Das biography in Hindi - कबीर दास का जीवन परिचय

Kabir Das biography in Hindi - कबीर दास का जीवन परिचय -

कबीर दास, जिन्हें "संत कबीर" के नाम से भी जाना जाता है, भारतीय संत, कवि और धार्मिक विचारक थे। उनकी रचनाएँ न केवल भारत में बल्कि विश्वभर में आज भी प्रसिद्ध हैं। कबीर दास का जन्म 15वीं शताब्दी में हुआ था और उनका योगदान साहित्यिक, सामाजिक और धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण रहा है।

Kabir das biography in hindi


 कबीर दास कौन थे ? who was Kabir Das 

 कबीर दास भारतीय संत, कवि और आध्यात्मिक विचारक थे। उन्होंने सच्चे आदर्शों और आध्यात्मिकता के बारे में अपने शब्दों में बात की। उनका जन्म 15वीं सदी में हुआ था और उनका जन्मस्थान काशी (वाराणसी) में था।

कबीर दास जी ने सरल भाषा में धार्मिक और आध्यात्मिक बातें लिखी और उनके दोहे, भजन और साखियाँ आज भी लोगों के दिलों में बसे हुए हैं। उन्होंने धर्मिक और सामाजिक मुद्दों पर अपने विचार प्रकट किए और जीवन के महत्वपूर्ण पहलुओं की ओर ध्यान दिलाया। उनके उपदेश आज भी हमारे समाज में महत्वपूर्ण हैं और हमें सही मार्ग पर चलने की प्रेरणा देते हैं।

 Kabir Das biography in Hindi - कबीर दास का जीवन परिचय

कबीर दास का जन्म उत्तर प्रदेश के वाराणसी जिले के लहरतारा गांव में हुआ था। वे निम्न जाति से थे और उन्होंने अपने जीवन में विभिन्न सामाजिक मुद्दों पर अपने विचार को अद्वितीय तरीके से प्रकट किया। उनका मानना था कि भगवान सभी मनुष्यों में है और हर कोई उन्हें अपने अंदर महसूस कर सकता है।

 बचपन और प्रभाव

 कबीर दास का बचपन बहुत ही गरीब और संकटमय था। वे एक पंचायती समूह में पल बढ़े और वहाँ के सभी धर्मों के प्रभाव में रहे। इसके बाद, उन्होंने संत मालूक दास के आदर्शों का पालन करते हुए एक आश्रम में शिक्षा प्राप्त की।

 आध्यात्मिक उपदेश और दर्शन

 कबीर दास के विचार अत्यंत आध्यात्मिक थे और उन्होंने समाज में जाति और धर्म के अंतर को मिटाने का संदेश दिया। उनकी दोहों में आध्यात्मिक ज्ञान और मानवता के प्रति सहानुभूति की भावना प्रकट होती है।

 साहित्यिक योगदान

 कवि कबीर दास की रचनाएँ उनके विचारों और दृष्टिकोण की प्रतिबिंबित हैं। उनकी दोहे और पद किसानों और मजदूरों की भाषा में थे और वे सामाजिक बुराइयों के खिलाफ उत्कृष्ट विरोधक भी थे।

 विरासत और प्रभाव

 कबीर दास की उपदेशों और दोहों का मानवता के जीवन में गहरा प्रभाव है। उनकी रचनाएँ आज भी लोगों के दिलों में बसी हैं और वे लोगों को सच्चे मार्गदर्शन करती हैं।

Kabir Das Ka Jivan Parichay-  Kabir das Qualifies 

कबीर दास जी भारतीय संत और कवि थे, जिन्होंने बहुत ही अच्छे और सरल तरीके से सबको अच्छे आदर्श दिखाए। उनकी खासियतें इस प्रकार हैं:

 1.सबके साथ अच्छाई:

कबीर दास जी ने सबको समझाया कि हम सभी एक समान हैं, चाहे जैसे भी हमारी धार्मिक या जातिगत पहचान हो।

 2. ईश्वर भक्ति

उन्होंने ईश्वर के प्रति गहरी भक्ति की बात की और यह सिखाया कि हमें सदा अच्छाई का मार्ग चुनना चाहिए।

 3. सरल भाषा:

कबीर दास जी की बातचीत सरल और समझ में आने वाली थी, जिससे छोटे-बड़े सभी उनके विचार समझ सकते थे।

 4. समाज में सुधार:

उन्होंने समाज में सुधार की बात की और यह दिखाया कि हमें सभी को समान तरीके से के साथ देखना चाहिए।

 5.धार्मिक तात्त्व:

उनके भजनों में विभिन्न धार्मिक मुद्दे होते थे जो हमें आच्छे तरीके से जीने का सही रास्ता दिखाते थे।

 6. विविधता की महत्वपूर्णता

कबीर दास जी ने दिखाया कि हमारे देश में विभिन्न धर्म और संस्कृतियों की एक साथ रहने की महत्वपूर्णता है।

 7. आत्मा का महत्व:

उनके उपदेशों में आत्मा का महत्व था, और वे सिखाते थे कि हमें हमेशा ईश्वर के प्रति आदर रखना चाहिए।

 8. साहस और सत्य:

कबीर दास जी ने सच्चाई और न्याय के लिए खुले मन से आवाज उठाई, जिससे उन्होंने लोगों को साहस दिलाया।

कबीर दास के गुरु कौन थे ? kabir das ke guru kaun the

कबीर दास के जीवनकाल में उनके दो गुरु थे। पहले गुरु का नाम गुरु रमानंद था, जिन्होंने उन्हें धार्मिक शिक्षा दी और उनके मार्गदर्शन में रहे।

दूसरे गुरु का नाम स्वामि रमतीर्थ था, जिन्होंने उन्हें आध्यात्मिक ज्ञान और साधना की शिक्षा दी। कबीर दास ने अपने गुरुओं के मार्गदर्शन में उनकी आध्यात्मिक यात्रा की और उनके उपदेशों को अपनाया।

kabir das ki rachnaye

कबीर दास जी ने अपने जीवन में कई बेहतरीन रचनाएँ लिखी थीं, जो हमें अच्छे आदर्श दिखाती हैं। यहाँ कुछ प्रमुख रचनाएँ हैं:

 1. दोहे

कबीर दास जी के दोहे बहुत ही सरल भाषा में होते थे और उनमें जीवन के महत्वपूर्ण बातें छिपी होती थीं। वे आध्यात्मिकता और अच्छे आदर्शों को बताते थे।

 2. भजन

कबीर दास जी के भजन उनकी भक्ति और आत्मा से जुड़े रिश्ते को दर्शाते थे। ये गीत उनके संदेशों को सुंदरता से प्रस्तुत करते थे।

 3. दोहा-चौपाई

उनके दोहा-चौपाई छोटे-छोटे विचारों को संक्षिप्त और सुंदर तरीके से प्रकट करते थे। वे जीवन के महत्वपूर्ण मुद्दे पर चर्चा करते थे।

 4. साखी

उनकी साखियाँ जीवन की सत्यता और मानवता के बारे में कहानियों की तरह होती थीं। ये हमें अच्छे काम करने की प्रेरणा देती थीं।

 5.रामैनी

यह एक बड़ी रचना थी, जिसमें कबीर दास जी ने भगवान राम की महिमा का गान किया था। इससे हमें भगवान के प्रति भक्ति और आत्मा के महत्व का संदेश मिलता है।

 कबीर दास जी की रचनाएँ आज भी हमें उनके अद्भुत संदेशों को सिखाती हैं और हमें सही दिशा में चलने की प्रेरणा देती हैं।

 kabir das death - कबीर दास की मृत्य 

कबीर दास जी की मृत्यु की निश्चित तिथि की जानकारी हमारे पास नहीं है, लेकिन विशेषज्ञों के अनुसार वे 15वीं शताब्दी में जन्मे थे और उनका जीवनकाल 1398 ईसा पूर्व से 1448 ईसा पूर्व तक के बीच माना जाता है। उनके जीवनकाल में ज्यादातर जानकारी मुंशी संगनाथ द्वारा लिखित 'बीजक' ग्रंथ में मिलती है, जिसमें उनके जीवन के बारे में कई जानकारीयाँ दी गई हैं।

 कबीर दास जी का जन्म और जीवन उनके शब्दों में छिपे आदर्शों और आध्यात्मिक विचारों से भरे हुए हैं। उनकी रचनाएँ और दोहे लोगों को जीवन के मूल मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करते हैं। उनका संदेश आज भी हमारे समाज में महत्वपूर्ण है और हमें सही दिशा में चलने की प्रेरणा देता है।

इसके बावजूद, कबीर दास जी की मृत्यु की विशेष तिथि से जुड़े कई विचार हैं, लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि वे कब इस दुनिया को अलविदा कह गए थे।

 kabir das dohe in hindi -  कबीर दास के 10 दोहे

यहाँ 10 प्रसिद्ध कबीर दास जी के दोहे हैं:

1. "बुरा जो देखन मैं चला, बुरा ना मिलिया कोय।

   जो दिल खोजा आपना, मुझसे बुरा ना कोय।"

 

2. "पोथी पढ़ि पढ़ि जग मुआ, पंडित भया न कोय।

   ढाई आखर प्रेम का, पढ़े सो पंडित होय।"

 

3. "दुख में सुमिरन सब करे, सुख में करे न कोय।

   जो सुख में सुमिरन करे, तो दुख काहे को होय।"

 

4. "मन के हारे हार है, मन के जीते जीत।

   मन के मारे मार है, मन के पारे पार है।"

 

5. "जाति न पूछो साधु की, पूछ लीजिए ज्ञान।

   मोल करो तलवार का, पड़ा रहन दो म्यान।"

 

6. "बिना बोले सब कुछ जान लेता है

  आखिर आखिर प्यार जो पहचान लेता है।"

 

7. "गुरु गोविन्द दोनों खड़े, काके लागूं पांय।

   बलिहारी गुरु आपने, गोविन्द दियो बताय।"

 

8. "सुना है सुना कुछ हुआ क्या, कभी नहीं यह बताया क्या।

   ब्रह्मा विष्णु महेश, उन्हीं जैसा नहीं कोई भगवान।"

 

9. "बिना सत्संग जीवन की अराधना ब्रिकुट है,

   सत्संग विना अपने को समझना त्रिकुट है।"

 

10. "पंच खड़ी बराबरी, बरनी पांच कोय।

    मोती को चुगे, देखे मन का चोय।"

 

ये दोहे कबीर दास जी के विचारों और आदर्शों को सरलता से दर्शाते हैं और हमें सही जीवन मार्ग पर चलने की प्रेरणा देते हैं।

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FAQ about kabir das biography in Hindi

1Q- कबीर दास की जन्म तिथि क्या थी?

Ans- कबीर दास का जन्म 15वीं शताब्दी में हुआ था।

 

2Q- कबीर दास की रचनाएँ किस भाषा में थीं?

Ans- कबीर दास की रचनाएँ खड़ी बोली में थीं, जो कि किसानों और मजदूरों की भाषा थी।

 

3Q- क्या कबीर दास ने समाज में बदलाव की बात की थी?

Ans- हां, कबीर दास ने समाज में जाति और धर्म के खिलाफ उत्कृष्ट विचार रखे और समाज में समानता की बात की थी।

 

4Q- क्या कबीर दास के दोहे आज भी प्रसिद्ध हैं?

Ans- जी हां, कबीर दास के दोहे आज भी लोगों के बीच में प्रसिद्ध हैं और उनकी शिक्षाएँ लोगों के दिलों में जिंदा हैं।

 

5Q- कबीर दास की दिलचस्प बातें क्या हैं?

Ans- कबीर दास ने अपनी रचनाओं में मानवता, भगवान के प्रति भक्ति, और आत्म-समर्पण के महत्व की बातें दिलचस्पी से कही हैं।

 

6Q- क्या कबीर दास का कोई आश्रयस्थल था?

Ans- हां, कबीर दास का माता-पिता के साथ आश्रयस्थल था और उन्होंने संत मालूक दास के आदर्शों का पालन करते हुए एक आश्रम में भी रहा।

 

निष्कर्ष-

 कबीर दास ने अपने जीवन में साहित्यिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण योगदान दिया। उनकी रचनाएँ आज भी हमें सही मार्ग दिखाती हैं और उनके दोहों में छिपे सत्यों का परिचय कराती हैं। उनके उपदेशों को आज भी अपनाकर हम समाज में समानता, दरिद्रता के खिलाफ लड़ सकते हैं।

by- hindiknowledgeforu

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